कण्वाश्रम ना तो कोई धार्मिक स्थान है और ना ही कोई दैविक स्थल है, अपितु ये वो भूमि है जो कि इस महान राष्ट भारत की आत्मा है और उस जन्मी उत्सर्जन का प्रतीक है। इस स्थान को उसकी भव्य उॅचाइयों तक पहॅुचाना इस देश के हर नागरिक का कर्तव्य है। विश्व के अनेकों राष्ट मे ऐसे स्मारक है जो कि उनकी राष्टीयत एकता का प्रतीक है और जो उस राष्ट के हर नागरिको को प्रेरित करता है। जन मानस तथा प्रतिष्ठित व्यक्ती इन स्मारक स्थलो मे जा, अपना झुका उस राष्ट के निर्माताओ को श्रद्धाजंली देते है। पर हमारे राष्ट मे ऐसा कोई स्मारक नही है जो इस राष्ट के निर्माता चक्रवर्ती सम्राट भरत को समर्पित हो। यदपि बहुत समय बीत गया पर अभी भी और पडे.....
इस देश का इस से बडा दुर्भाग्य क्या हो सकता है कि उसके पास इस देश के जनक “चक्रर्वती स्रमाठ भरत” को उसके नागरिको दारा श्रद्धाजंली देने के लिए कोई
स्मारक तक नही है।